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धरती की सतह पर कुछ सिंदूरी गुलाली किसी फूल सी खिलती ये भोर की लाली। मैं देख रहा हूँ बहुत चाव से इसको बरबस तुम्हारी याद दिला रहा है ये मुझको। ...